डीपीसीसी के अनुसार प्रदूषण की मॉनिटरिंग चल रही है। कदम भी उठाए जा रहे हैं। उधर, आईआईटीएम पुणे के अनुसार 26 से 28 अक्टूबर तक प्रदूषण बेहद खराब स्थिति में बना रहेगा। इसके बाद अगले छह दिनों तक प्रदूषण का स्तर खराब से बेहद खराब रहेगा। वहीं, सफर के पूर्वानुमान के अनुसार 26 और 27 अक्टूबर को हवाओं की गति 6 किलोमीटर प्रति घंटे तक रहेगी। अधिकतम तापमान 31 और न्यूनतम 15 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है। ऐसे में 26 और 27 अक्टूबर को प्रदूषण स्तर में सुधार हो सकता है और यह खराब स्थिति पर आ सकता है।
सफर एजेंसी के अनुसार, दिल्ली में आज सुबह 6 बजे के आसपास वायु गुणवत्ता 349 रही, जो बहुत खराब स्थिति होती है। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 200 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है।
323 एक्यूआई अभी चिंताजनक है और हमें बताता है कि आने वाले दिनों में कम तापमान के बीच वायु प्रदूषण बढ़ेगा।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय, मंगलवार को बोले
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि राजधानी में दिवाली पर पटाखे जलाने की घटनाओं में पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत की कमी आई और शहर में दिवाली के अगले दिन वायु गुणवत्ता पांच साल बाद सबसे ठीक रही। उन्होंने मंगलवार को 150 एंटी-स्मॉग गन की शुरुआत की। ये एंटी-स्मॉग गन उन इलाकों में पानी का छिड़काव करेंगी जहां वायु प्रदूषण ज्यादा है।
वायु गुणवत्ता खराब होने के लिए नागरिक और दिल्ली सरकार बराबर जिम्मेदार हैं। प्रदूषण पर रोक के नियमों का दिल्ली के अधिकतर हिस्सों में नागरिकों ने उल्लंघन किया। जब जिम्मेदार नागरिक बनने और समाधान का हिस्सा बनने की बात आती है तो वे ऐसा नहीं करते हैं। पटाखा जलाने वाले अधिकतर लोग अपने बच्चों या बुजुर्गों की या अपने जीवन तक की परवाह नहीं करते हैं।
चिंतन एनवायरमेंटल रिसर्च ऐंड एक्शन ग्रुप की संस्थापक और निदेशक भारती चतुर्वेदी
अस्पताल कम पहुंचे लोग लेकिन…
राहत की खबर यह भी है कि दीपावली के बाद राष्ट्रीय राजधानी में पिछले साल की तुलना में वायु प्रदूषण कम होने की वजह से यहां के अस्पतालों में श्वसन रोग के कम मामले आए। इसके साथ ही, 2021 की तुलना में अस्पतालों में जलने के मामले भी कम संख्या में आए। हालांकि, डॉक्टरों ने यह भी कहा कि दीपावली के बाद सांस की बीमारी के प्रसार के बारे में किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी क्योंकि लोग अस्पतालों में तभी आते हैं जब उनकी स्थिति खराब हो जाती है। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट में श्वसन रोग विभाग के निदेशक डॉ. मनोज गोयल ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों की तुलना में इस बार हवा की गुणवत्ता बेहतर है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में सांस के मामलों में वृद्धि हुई है, लेकिन यह संख्या पिछले साल की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत कम है।’
(एनबीटी रिपोर्टर और भाषा के इनपुट के साथ)